Thursday 2 December 2010

story 2 विश्व को जीतना सरल है ,मन को जीतना कठिन है

विश्व को जीतना सरल है ,मन को जीतना कठिन है

विश्व को जीतना सरल है ,मन को जीतना कठिन है
 
एक बार एक आदमी ने एक जिन्न को वश में कर लिया .
जिन्न प्रकट हो गया..और बोला कि आज से में तुम्हारा
गुलाम हूँ पर मेरी एक शर्त है..कि मुझे लगातार काम
करने की आदत है सो तुम्हें मुझे लगातार काम बताने
होंगे और जैसे ही तुमने काम बताना बंद किया मैं तुम्हें
मारकर खा जाऊँगा..उस आदमी ने खुशी खुशी मंजूर
कर लिया..उसने सोचा कि मेरे पास ढेरों काम हैं
और मुझे खूब ये फ़्री का नौकर मिला अब ये काम करेगा
और मैं आनंद से मौज करूँगा..वह जिन्न को काम
बताने लगा और जिन्न उन्हें चुटकियों में कर देता
था.वह आदमी बङा खुश हुआ..लेकिन उसकी खुशी थोङे
ही समय रह पायी..असल में जिन्न इतनी तेजी से
काम करता था कि काम खत्म होने लगे और धीरे धीरे
सब काम खत्म हो गये..अब तो उस आदमी को समझ
में न आये कि जिन्न को क्या काम बताये..आखिर में उसे
काम नहीं सूझा तो जिन्न उसे खाने को दौङा और वह
आदमी जान बचाकर भागा . जिन्न उसके पीछे पीछे
दौङने लगा..वह आदमी आकर एक साधु संत की
कुटिया में गिर पङा और कहने लगा कि महाराज
मुझे किसी तरह बचा लीजिये ..संत ने उसकी पूरी
बात सुनी और कहा कि बस इतनी सी बात है..फ़िर उन्होनें
कहा जैसा में कहूँ वैसा करना..तब तक जिन्न पास आ गया
था ..उस आदमी ने संत की बतायी युक्ति से कहा कि
हे जिन्न ये बांस जमीन में गढा हुआ है जब तक मैं
तुम्हें दूसरा काम न बताऊँ इस पर चङो और फ़िर उतरो
फ़िर चङो और फ़िर उतरो...जिन्न ऐसा ही करने लगा
और थोङी ही देर में व्याकुल हो गया उसने उस आदमी
से कहा कि अब मेरी कोई शर्त नहीं है..तुम जब काम बताओगे
मैं बो काम करूँगा पर ये आदेश वापस ले लो..
वास्तव में हमारे मन की ठीक यही स्थिति है..मन जिन्न की
तरह है..और जीव को कामों में उलझाकर मार रहा है
सतगुरु की बतायी युक्ति से ये वश में हो जाता है और तब
उल्टा हो जाता है ..अभी तक जो जीव मन के कहे अनुसार
नाच रहा था..अब मन उसका गुलाम होकर कार्य करता है
और जीव अपार आनंद का अनुभव करता है ..क्योंकि
वह सतगुरु की बतायी युक्ति से करोङो जन्मों की मन की
इस दासता से मुक्त हो जाता है..वास्तव में यह साधारण
कहानी नहीं है इसमें एक बेहद गूढ रहस्य छिपा है.यदि
ठीक से विचार करो तो..

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