ज्ञान मार्ग की चार प्रमुख गतियाँ
यहाँ ये बताना जरूरी है के आपका कर्म कितना ही अछ्छा क्यों न हो दुबारा मनुष्य जन्म ८४ लाख योनियों को भोगने के बाद ही प्राप्त होगा । आखिर इस मनुष्य शारीर मैं कुछ तो खास बात है जो देवता भी चाहते है के एक बार उन्हें ये मनुष्य शारीर मिल जय तो वे अखंड आनंद देने वाली मुक्ति को प्राप्त हो सकें ।
श्रीकृष्ण ने गीता मैं कहा है के हे अर्जुन मुक्ति ज्ञान से है अछ्छे कर्मों से मुक्ति कभी नहीं होती ।
अछ्छे कार्मों से तुझ्र स्वर्ग तो प्राप्त हो सकता है पर मुक्ति कभी प्राप्त नहीं होगी । जाहिर है ये मुक्ति बड़ी ऊंची चीज है .और मुक्ति के सामने स्वर्ग एकदम तुच्छ है
इस लिए ज्ञान मार्ग को चार भागों मैं बांटा ग्या है
१_विहंगम मार्ग २_मकर मार्ग ३_मरकत मार्ग ४_मीन मार्ग
इनमें विहंगम मार्ग ही संत मार्ग होता है बाकि सब सिध्धों के मार्ग हैं । इसे ही सहज योग कहते है ।
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