Thursday, 25 November 2010

65 फ़ीसदी आबादी और असंगठित क्षेत्र के कामगारों वाले भारत को अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की इस यात्रा से क्या हासिल होगा?

कृषि से जुड़ी 65 फ़ीसदी आबादी और असंगठित क्षेत्र के कामगारों वाले भारत को अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की इस यात्रा से क्या हासिल होगा? ओबामा की यात्रा के दौरान होने वाले क़रारों से अमेरिका में 50 हज़ार से अधिक लोगों को रोज़गार मिलने 'अमरीकियों की बेरोज़गारी की हमें बेहद फ़िक्र है लेकिन हमारी बेरोज़गारी की चर्चा क्यों नहीं हो रही.'
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत और अमेरिका के बीच 10 अरब डॉलर (करीब 44 हज़ार करोड़ रुपए) के अनेक सौदों का ऐलान किया. इससे अमेरिका में क़रीब 50 हज़ार नौकरियों का सृजन हो सकेगा. उन्होंने भारत से व्यापार बाधाएं दूर करने को कहा और साथ यह भी भरोसा दिलाया कि अमेरिका भी ऐसे ही क़दम उठाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई की भारत-अमेरिकी साझेदारी 21 वीं सदी में अहम साबित होगी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़ देश में इस समय क़रीब डेढ़ लाख अमरीकी नागरिक विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी कर रहे हैं. यह बात अलग है कि अमरीकी प्रशासन भारतीय आईटी कंपनियों की आउटसोर्सिग को लेकर सख़्त नज़रिया रखता है. अमेरिकी जब यहां काम करते हैं तो अपनी आय का एक हिस्सा अपने देश भी भेजते हैं जिससे उनकी अर्थव्यवस्था में भी सहयोग होता है. ऐसे में यह कहना कि सिर्फ़ भारतीय ही अमेरिका में कमा रहे हैं, सौ फ़ीसदी सही नहीं है.
यह उचित नहीं है कि आज़ादी के 65 साल पूरे करने वाला भारत जैसा विशाल देश अमेरिका से घुटने टेक कर कहे कि पाकिस्तान से हमें बचाओ. क्या हमारे अंदर स्वाभिमान जैसी कोई चीज़ नहीं है.
ओबामा को प्राग में दिए गए भाषण के कारण ही नोबेल शांति पुरस्कार मिला. उन्होंने तक़रीबन वही कहा जो राजीव गांधी ने 1988 में कहा था. बीस साल के बाद भारत को ऐसा क़दम उठाना चाहिए कि दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्ति अमेरिका और सबसे छोटी परमाणु शक्ति भारत मिलकर दुनिया को निरस्त्रीकरण की ओर अग्रसर कर सकें.

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